अब जाग उठो, कमर कसो, मंजिल की राह
बुलाती है
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज़ लगाती है ॥धृ॥
ललकार रही हमको दुनिया , भेरी आवाज़ लगाती है ॥धृ॥
है ध्येय हमारा दूर सही , पर साहस भी तो क्या कम है
हमराह अनेक साथी है, क़दमों में अंगद का दम है
असुरों की लंका राख करे वह आग लगानी आती है ॥१॥
पग-पग पर काँटे बिछे हुए, व्यवहार कुशलता हममें है
विश्वास विजय का अटल लिए, निष्ठा
कर्मठता हममें है
विजयी पुरखों की परंपरा, अनमोल
हमारी थाती है ॥२॥
हम शेर शिवा के अनुगामी, राणा
प्रताप की आन लिए
केशव माधव का तेज लिए, अर्जुन
का शरसंधान लिए
संगठन तन्त्र की शक्ति ही वैभव
का चित्र सजाती है ॥३॥