Sunday 28 August 2011

देश हमें देता है सब कुछ




देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥धृ॥

सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है  
भूख मिटने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है 
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥

गरमी की तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया 
सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला 
त्यागी तरुओं के जीवन से, हम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥

जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , जो चुप हैं उनको वाणी दें 
पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँ, समरसता का भाव जगा दें 
हम मेहनत के दीप जलाकर, नया उजाला करना सीखें ॥३॥