हम युवा हैं हम
करें मुश्किलों का सामना
मातृभूमि हित जगे
है हमारी कामना ॥धृ॥
संस्कृति पली
यहाँ पुण्यभू जो प्यारी है
जननी वीरों की
अनेक भरतभू हमारी है
ऐसा अब युवक कहाँ
दिल मे ज़िसके राम ना ॥१॥
ज्ञान के प्रकाश
की ले मशाल हाथ में
शील की पवित्रता
है हमारे साथ में
एकता के स्वर उठे
छूने को ये आसमाँ ॥२॥
आँधियों में
स्वार्थ की त्यागदीप ना बुझे
मातृभू को प्राण
दूँ याद है शपथ मुझे
मैं कहाँ अकेला
हूँ साथ है ये कारवाँ ॥३॥
ये कदम हजारों अब
रुक ना पाएँगे कभी
मंजिलों पे
पहुंचकर ही विराम ले सभी
ध्येय पूर्ति
पूर्व अब रुक ना पाये साधना ॥४ ॥