Wednesday 14 November 2012

बढें निरंतर हो निर्भय,
गूँजे भारत की जय-जय ।।धृ।।


याद करें अपना गौरव
याद करें अपना वैभव
स्वर्णिम युग को प्रकटाएँगे,
मन में धारें दृढ निश्चय ।।।।


वीरव्रती बनकर हुँकारें,
जन-जन का सामर्थ्य बढ़ाएँ ।
दशों दिशा से ज्वार उठेगा,
चीर चलेंगे घोर प्रलय ।।२।।

कर्म समर्पित हो हर प्राण,
यश अपयश पर ना हो ध्यान ।
व्यमोही आकर्षण तज दें,
आलोकित हो शील विनय ।।३।।

सृजन करें नव शुभ रचनाएँ, 

सत्य अहिंसा पथ अपनाएँ ।
मंगलमय हिंदुत्व सुधा से,
छलकाएँगे घट अक्षय ।।४।।

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