Saturday 21 July 2012

न हो साथ कोई


न हो साथ कोई अकेले बढ़ो तुम
सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥धृ॥

सदा जो जगाए बिना ही जगा है
अँधेरा उसे देखकर ही भगा है।
वही बीज पनपा पनपना जिसे था
घुना क्या किसी के उगाए उगा है।
अगर उग सको तो उगो सूर्य से तुम
प्रखरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥१॥

सही राह को छोड़कर जो मुड़े हैं
वही देखकर दूसरों को कुढ़े हैं।
बिना पंख तौले उड़े जो गगन में
न सम्बन्ध उनके गगन से जुड़े हैं।
अगर उड़ सको तो पखेरु बनो तुम
प्रवरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥२॥

न जो बर्फ की आँधियों से लड़े हैं
कभी पग न उनके शिखर पर पड़े हैं।
जिन्हें लक्ष्य से कम अधिक प्यार खुद से
वही जी चुराकर विमुख हो खड़े हैं।
अगर जी सको तो जियो जूझकर तुम
अमरता तुम्हारे चरण चूम लेगी ॥३॥