Sunday 23 October 2011

युग-युग से हिंदुत्व सुधा की (भारत की हो जय-जयकार)


युग-युग से हिंदुत्व सुधा की, बरस रही मंगलमय धार 
भारत की हो जय-जयकारभारत की हो जय-जयकार ॥धृ॥

भारत ने ही सारे जग को, ज्ञान और विज्ञान दिया 
स्नेह भरी दृष्टि से अपनी, जन-जन का उपकार किया 
जननी की पावन पूजा का, सुखमय रूप हुआ साकार 
भारत की हो जय-जयकारभारत की हो जय-जयकार ॥१॥

भारत अपने भव्य रूप को, धरती पर फिर प्रकटाये 
नष्ट करे सारे दोषों को, समरसता नित सरसाये 
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम, पहिचाने अपनी शक्ति अपार 
भारत की हो जय-जयकारभारत की हो जय-जयकार ॥२॥

भारत भक्ति हृदय में भरकर, अनथक ताप दिन-रात करें 
शाखा रुपी नित्य साधना, सुन्दर सुघटित रूप वरें 
निर्भय होके बढे निरंतर, दृढ़ता से जीवन व्रत धार 
भारत की हो जय-जयकारभारत की हो जय-जयकार ॥३॥    

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